बहुत दिनों के बाद अपना ब्लॉग देखा है । पासवर्ड याद नहीं था ।
हम सोच रहे हैं कुछ लिखें । इस बार कहानी.. सोच जो भावानाओ और ख़याल को लोगों के लिए बिखेर देती है । नदी के खुले अस्तित्व - सा जो स्वीकार्य है । मन का वो सपना, हंसी की सी उम्मीद की तरह - सा वो एक ख़याल मेरा भी । जहाँ वाक्य की लम्बाई भी मुक़द्दर को खींचे.. अपनी उदासी को ज़ाहिर करने के बजाए .. !
दिल तो मेरा हमेशा से कविताओं पर ही अटकता है। मगर एक कोशिश तो कमोबेश की ही जा सकती है गुनगुनाने की जगह गुनने की ।
वैसे गद्य के लिए हमारा मिजाज़ अंग्रेज़ी भाषा को ही पकड़ता है, लेकिन इस दफे अपनी भाषा में ।
हम सोच रहे हैं कुछ लिखें । इस बार कहानी.. सोच जो भावानाओ और ख़याल को लोगों के लिए बिखेर देती है । नदी के खुले अस्तित्व - सा जो स्वीकार्य है । मन का वो सपना, हंसी की सी उम्मीद की तरह - सा वो एक ख़याल मेरा भी । जहाँ वाक्य की लम्बाई भी मुक़द्दर को खींचे.. अपनी उदासी को ज़ाहिर करने के बजाए .. !
दिल तो मेरा हमेशा से कविताओं पर ही अटकता है। मगर एक कोशिश तो कमोबेश की ही जा सकती है गुनगुनाने की जगह गुनने की ।
वैसे गद्य के लिए हमारा मिजाज़ अंग्रेज़ी भाषा को ही पकड़ता है, लेकिन इस दफे अपनी भाषा में ।